उ. प्र. में पुत्री का सम्पत्ति में अधिकार
उत्तर प्रदेश में पुत्रियों को संपत्ति कितना अधिकार है यह जानने के लिए
संपत्ति का प्रकार का जानना होगा। एक वह संपत्ति जो कृषि भूमी है इसमे
पुत्रियों को अधिकार तो दिया गया है किन्तु उनको तीसरे और चौथे स्थान पर
रखा गया है (उ. प्र. जमींदारी वि अधि. की धरा १७१ व अब उ. प्र. राजस्व
संहिता की धरा १०८ ) इसका अर्थ है कि यदि विधवा और पुत्र या पौत्र है तो
पुत्री को कोई हिस्सा नहीं मिलेगा यदि उक्त नहीं है तभी पुत्री को हिस्सा
मिलेगा उसमे भी यदि अविवाहित पुत्री है तो उसे मिलेगा क्योकि विवाहित
पुत्री चौथे स्थान पर है। यह नियम सभी नागरिक पर लागु है चाहे वह किसी धर्म
का हो।
दूसरा वह संपत्ति जो कृषि भूमि नहीं है इसका निस्तारण व्यक्तिगत कानून के अनुसार होगा। हिन्दू विधि
में २००५ के संसोधन के बाद पुत्री को भी संयुक्त हिन्दू परिवार में जन्मतः
सहदायिक माना जाता है और उसका हिस्सा पुत्र के बराबर मिलेगा।
मुस्लिम
विधि में चाहे सुन्नी हो या शिया पुत्री का हिस्सा तभी है जब पुत्र नहीं
है यदि एक पुत्री है तो १/२ और एक से अधिक है तो सबका मिलाकर २/३ और पुत्र
होने पर पुत्री अवशिष्ट हो जाती है और यदि सबके हिस्से के बाद कुछ अवशिष्ट
है तो उसमे पुत्री अन्य के साथ प्राप्त करेगी।
उपरोक्त
सभी नियम निर्वसीयती के मामले में लागु होगा यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन कल
में वसीयत करके मरता है तो उसके संपत्ति का निस्तारण वसीयत के अनुसार होगा
और कृषि भूमि को छोड़ कर वसीयत के सम्बन्ध में धार्मिक विधि लागु होगा
अर्थात मुस्लिम केवल अपने १/३ भाग का वसीयत कर सकता है ।